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Friday 7 September 2012

जीने की तमन्ना

यादें काला नाग बन गई,
डसने को बे-वक़्त चली आती है।

दिल जब भी टूटता है मेरा,
टीस आँखों मे नजर आती है।

तुम आज भी मुझको बेवफाई का ताज पहनाते हो,
यक़ीनन, तुम से बिछड़ के आज भी नींद नहीं आती है।

वक़्त हो चला जख्मों को भरे....
यादों की रूह जब भी आती है, जख्मों की सिलन उभर जाती है।

ख़्याल रो पड़ते हैं, जब जिक्र तुम्हारा आता है....
बेबसी की उफनती नदी मेरे आस-पास नजर आती है।

चलो तोड़ डाले दुनिया के बंधनो को...
जीने की तमन्ना तो बस तुममे ही नजर आती है।

सोनिया





 

14 comments:

  1. Nice one Soniya........ bhut dard ha appki rachna mae........ Dil ko chu liya..... Atti Sunder.

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  2. बहुत बढ़िया...सोनिया..

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  3. बहुत खूब !


    मुझ से मत जलो - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !

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  4. मन के द्वंद्व को बखूबी लिखा है

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  5. गहन भाव लिए बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  6. बहुत सुन्दर सोनिया....

    अनु

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  7. बहुत सुन्दर
    दिल को छूती रचना...
    :-)

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  8. सुन्दर कविता ,काबिले तारीफ ।
    मेरी नयी पोस्ट -"क्या आप इंटरनेट पर ऐसे मशहूर होना चाहते है?" को अवश्य देखे ।धन्यवाद ।
    मेरे ब्लॉग का पता है - HARSHPRACHAR.BLOGSPOT.COM

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  9. बुरांस के फूल तो बहुत सुन्दर लगाए हैं. कविता भी सुन्दर है.
    घुघूतीबासूती

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  10. बहुत खूब ... दिल को छू के गुज़र जाती है रचना ...

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  11. जीने की तमन्ना तुम में नजर आती है...:)
    बहुत प्यारी... दिल से कही हुई रचना..
    आभार...

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  12. सोनिया जी, बहुत खूबसूरत रचना.

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  13. आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया.... आप सभी के कमेंट मुझे आगे बढ्ने के लिए प्रेरित करते हैं अपना स्नेह सदा यूं ही बनाए रखे। ताकि मेरी लेखनी यूं ही चलती रहे।

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