मेरा बेटा अक्सर पिता को पुकारता है
मैं उसे हंसिये जैसा धारधार चाँद दिखाती हूँ
चाँद की परछाई मुझ पर पड़ती है
दर्द के नीले निशान उभर आते हैं
चाँद एक पुरुष है
जो कर्कश आवाज में बोलता है
निकलो आसमानी घर से
हंसिये की खरोच से
घायल हैं मेरी हथेलियाँ
मेरा बेटा चाँद नहीं देखता
धरती में टंके सितारे देखता है
जो मैंने काढ़े हैं
अब वो माँ पुकारता है