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Friday, 13 April 2012

***** मिलन बेला *****

आगमन से प्रिये तुम्हारे!!
ध्वान्त जीवन.. उज्जवल हुआ
  दुष्ट पीड़ा को विसर्जित
आज गंगा में किया,
आज ही फूटा हृदय में
  प्रेम पल्लव प्रिये तेरा,
अश्रुओं से तोड़ नाता,
प्रेम से आँचल भरा
मेघ-बंधन से छुड़ा कर वृष्टि को ,
स्नेह की बरखा में भींगे प्रिये चलो.......
एक ही आँखों से देखें स्वप्न भी
"प्रेम उपवन" में बनाये घर नया!
और कष्टों को कुंवारा छोड़कर
  पकड़ लेते हैं सुखों का रास्ता
आगमन से प्रिये तुम्हारे!!
ध्वान्त जीवन..उज्जवल हुआ (सोनिया बहुखंडी गौर)

19 comments:

  1. प्रेमभाव की अनूठी अभिव्यक्ति. सुंदर सृजन.

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  2. वाह .... बहुत सुंदर .... ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है

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    1. संगीता जी... पंक्तियों को सराहने के लिए आभार...

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  3. प्रेमभाव की बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति..... ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है..

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    1. महेश्वरी कानेरी जी... पंक्तियों को सराहने के लिए आभार...

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  4. प्रेम भाव में पगी सुन्दर रचना उत्तराखंड की तो खुशबू भी कुछ लिखने को प्रेरित कर देती है स्वागत है आपका मैं भी देहरादून में रहती हूँ

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    1. बहुत बहुत आभार राजेश कुमारी जी.... मैंने भी कुछ वर्ष देहरादून में बिताएं हैं.... आज भी वहां की यादें मेरे मन में समाई हुई हैं ।

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  5. This comment has been removed by the author.

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  6. बहुत खूब दीदी !


    सादर

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    1. आभार छोटे भाई.... हमेशा खुश रहो

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  7. आन्तरिक भावों के सहज प्रवाहमय सुन्दर रचना....

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  8. एक मोहक रचना.

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  9. बहुत प्यारी रसभरी प्रस्तुति।

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  10. आपकी अभी तक तीन कवितायें पढ़ीं हैं , ये सबसे अच्छी लगी और सबसे खास बात आपका तस्वीर का चुनाव बहुत सुन्दर है | यहाँ आप कोई भे साधारण प्रेमी-प्रेमिका की तस्वीर लगा सकती थीं लेकिन आपने उनकी तस्वीर लगाई है जो प्रेम की उच्चतम पराकाष्ठा हैं |

    सादर

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  11. मेरा कमेन्ट शायद स्पैम में चला गया | :(
    :)

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  12. marathi bhashame maine aiisi kavita aajtak nahin padhi

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