मेरी चुप्पियों को आज
टूट जाने दो
आँख में जम गया जो खार
उसे गल जाने दो
पड़ चुकी है लत मुझे
धोखा खाने की
कोई थामो नहीं मुझको
इश्क़ से दूर जाने दो
चूक होती रही मुझसे,
दोस्तों को समझने मे
ख़ुदा,
फरियाद करती हूँ दोस्ती मे मुझे अब चुक जाने दो
ना जाने क्या दिल मे
भर बैठे हैं वो अपने
सागर-ए-दिल मे उनके
मुझे उतर जाने दो
झील सी गहरी आँखों से
बरगलाते रहे मुझको
मुझे रोको नहीं, इस
झील मे अब डूब जाने दो
खता इतनी ज़िंदगी मान
बैठी मैं तुम्हें अपनी
खता की दो सजा मुझको, मौत
के करीब जाने दो
सोनिया बहुखंडी गौड़
दोस्ती में हम दोनों क्यों न चूक जाएँ
ReplyDeleteदोनों ही जिंदगी का एक नया मुकाम पायें
जो दिल के पास होता है
ReplyDeleteवो ही कुछ खास होता है
खास दोस्त ही दर्द देता है
दुश्मन तो साये ही डरता है....
...भास्कर
वाह सोनिया जी वाह क्या बात लाजवाब प्रस्तुति.
ReplyDeleteदोस्तों को समझने में चुक.. फिर तो समझना होगा...:)
ReplyDeleteदोस्ती करो, जम कर करो.. पर दोस्त दोस्ती के लायक हो.. ये तो देखना होगा...:)
बेहतरीन... !!
वैसे भी तुम अच्छा लिखते हो सोनिया :)
आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 10/11/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteमेरी चुप्पियों को आज टूट जाने दो
ReplyDeleteआँख में जम गया जो खार उसे गल जाने दो .... गुनगुनाने दो, कलकल स्वर में बहने दो
आपका अनुभव इस कविता में झलकता है और यही हम छोटों के लिए मार्गदर्शन है !
ReplyDeleteफुर्सत मिले तो .....मुस्कराहट पर ज़रूर आईये
सबसे पहले तो आपके ब्लॉग में आकर संतूर वादन सुनकर उसी में खो गये... :)
ReplyDeleteफिर आपकी रचना पढ़ी...
बहुत सुंदर !:)
शुभकामनाएँ !
BEAUTIFUL LINES NEAR TO MY HEART .SO SWEET AND EMOTINAL.
ReplyDeleteकई रिश्तों में शायद धोखा होने के बाद भी हम उसे नकार नहीं सकते। कुछ रिश्ते हम चुन नहीं सकते ।
ReplyDeleteदोस्त का अर्थ ही है दो+अस्त, यानी इतना विस्वास और प्रेम की एक साथ अस्त हो और उदय हों ।
ReplyDeleteसुंदर रचना के लिए बधाई
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteखूबसूरत अहसास .....बहुत खूब
ReplyDeleteदीवाली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ
aapko bhi diwali ki dher saar shubhkaamnen anju jee
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