बातें क्या हैं?
छल हैं।
जो मैं करती हूँ
जो तुम करते हो...
एक अरसा बीता
हम दोनों को
छल किए हुए.........
वही छल जो
हम दोनों को
एक-दूसरे के करीब
लाता था----
छल एक भ्रम था
जो नश्वरता का गुण
लिए आया था हमारे बीच
और अपने गुण के साथ
समाप्त हो गया-----
अब तो एक रेखा बन गई
है तुम्हारे और मेरे बीच
एक लक्ष्मण-रेखा!
जो अखंड सत्य है
तुम अपनी समाप्ति के
डर से, और मैं अपनी----
इस रेखा को पार
नहीं कर पा रहे हैं----
आश्चर्य!! हमारा रिश्ता
भ्रम पर टिका था,
जिसने अपनी समाप्ति के
साथ-साथ हमारे
रिश्ते को भी समाप्त कर गया।
बाते क्या हैं ? भ्रम होता नहीं पर हम भ्रम का बहाना बनाए जीते चले जाते हैं ... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबेहतरीन...
ReplyDeleteदिल छूने वाली...
सुन्दर...
ReplyDeleteहृदय के कोमल भाव अच्छी तरह उकेरे हैं सोनिया...
सस्नेह
अनु
सच में ! ये भी एक अजीब ही छल है.......
ReplyDeleteबहुत खूबसूरती से दर्शाया है आपने...
~सादर !
अच्छी रचना
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