आज गीला है बहुत,
मेरी माँ का आंगन
मृत्यु पर मेरी रोई बहुत!!!
क्षण-क्षण हुई आहत मेरी माँ...
जाने अबल क्यों हो गई?
दुर्जन जगत के सामने,
क्यों आश्वहीन वो हो गई?
मैं; चार माह की थी.. अजन्मी
कोख को समझी जगत,
अनजान थी, ,मैं मूर्ख थी,
मुझ को कहाँ इतनी समझ...
वंचक बना मेरा पिता,
औरस की थी उसे लालसा
जीवन की मेरी नाव का
पतवार कोई ना बना.......
मेरी माँ बिलखती ही रही,
दानव पिता के सामने....
औजार,चाक़ू,पिनों से.....मेरी जब हत्या हुई
यम भी लगे थे कांपने,
मेरी माँ की कोख उजड़ गई
खिलने से पहले एक कलि
बिन खाद ,जल के मर गई
इतने बड़े संसार में मेरी माँ अकेली पड़ गई----२
देख माँ के इस एकांत को
मेरी आत्मा बिफर उठी..
और चीख कर मैंने कहा----
ओ पुरुष! तू पुरुषार्थ के
क्यों दंभ से भीगा हुआ?
क्या तू नहीं है जानता?
मेरे जनम से जो जग बना
मेरे अंत से मिट जायेगा...
कन्या-भ्रूण हत्या पाप से
तू कभी ना बच पायेगा, तू कभी ना बच पायेगा
सोनिया बहुखंडी गौर
मेरी माँ का आंगन
मृत्यु पर मेरी रोई बहुत!!!
क्षण-क्षण हुई आहत मेरी माँ...
जाने अबल क्यों हो गई?
दुर्जन जगत के सामने,
क्यों आश्वहीन वो हो गई?
मैं; चार माह की थी.. अजन्मी
कोख को समझी जगत,
अनजान थी, ,मैं मूर्ख थी,
मुझ को कहाँ इतनी समझ...
वंचक बना मेरा पिता,
औरस की थी उसे लालसा
जीवन की मेरी नाव का
पतवार कोई ना बना.......
मेरी माँ बिलखती ही रही,
दानव पिता के सामने....
औजार,चाक़ू,पिनों से.....मेरी जब हत्या हुई
यम भी लगे थे कांपने,
मेरी माँ की कोख उजड़ गई
खिलने से पहले एक कलि
बिन खाद ,जल के मर गई
इतने बड़े संसार में मेरी माँ अकेली पड़ गई----२
देख माँ के इस एकांत को
मेरी आत्मा बिफर उठी..
और चीख कर मैंने कहा----
ओ पुरुष! तू पुरुषार्थ के
क्यों दंभ से भीगा हुआ?
क्या तू नहीं है जानता?
मेरे जनम से जो जग बना
मेरे अंत से मिट जायेगा...
कन्या-भ्रूण हत्या पाप से
तू कभी ना बच पायेगा, तू कभी ना बच पायेगा
सोनिया बहुखंडी गौर
शक्तिशाली एवं सार्थक पोस्ट....................
ReplyDeleteआभार .
अनु
बहुत मर्मस्पर्शी रचना ...
ReplyDeleteक्षण-क्षण हुई आहत मेरी माँ...
जाने अबल क्यों हो गई?
दुर्जन जगत के सामने,
क्यों आश्वाहीन वो हो गई?
अबला और आशा विहीन शब्द एक बार देख लें ...
mam abal aur ashvaheen mane speechless baaki aap batyen kya hona chahiye _ saadar
ReplyDeleteप्रभावी और संवेदनशील रचना ... सोचने कों विवश करती ...
ReplyDeleteबहुत ही मार्मिक
ReplyDeleteसादर
bahut hi sarthak post....
ReplyDeleteआपकी ए रचना पुरुषों को अपराधी एवं महिलाओं को अबला साबित कर रही है ....ऐसा जान पड़ता है कि भ्रूण हत्या के पीछे केवल और केवल पुरुषों का हाथ है और औरत असहाय है कुछ करने में असमर्थ ....
ReplyDeleteकिन्तु मैं आपकी इन बातों से केवल इतना ही सहमत हूँ कि "भ्रूण हत्या अपराध है " किन्तु इसमें महिला असहाय होती है ए तो कोरी बकवास है ...अनेको ऐसे उदहारण है जिसमे केवल व केवल महिला जिम्मेदार होती है इस हत्या के लिए ...
मेरी समझ से ए ज्यादा बेहतर होता कि आप अपराधी का लिंगभेद न करते हुए केवल अपराध कि निंदा कि होती तो शायद पोस्ट कि गुणवत्ता बढ़ जाती ...
सादर,
उपेन्द्र दुबे
पूरी विनम्रता के साथ कहना चाहूँगा कि मैं उपेन्द्र जी की बात से पूरी तरह सहमत हूँ |
Deleteबेहद मार्मिक
ReplyDeleteभावों से नाजुक शब्द को बहुत ही सहजता से रचना में रच दिया आपने.........
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteभूल सुधार ---
ReplyDeleteकल 07/05/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
par kuchh maa v hatya karti......gamvir samasya..
ReplyDeleteमार्मिक और गम्भीर रचना
ReplyDeletemain uljheshabd ji se sahmat hoon , lingbhed nhi hona chahiye , isi vishay par meri kavita jarur padhiye.
ReplyDeletehttp://bebkoof.blogspot.in/2009/06/blog-post_6665.html#comment-form
सार्थक रचना ....
ReplyDeleteज्वलंत विषय को लेकर लिखी गई सार्थक और सुन्दर रचना |
ReplyDeleteसार्थक रचना गंभीर समस्या का समाधान तलाशती.
ReplyDeleteबधाई.
saarthak evam behad samvedan sheel rachna
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