जब तिमिर ढलेगा एकांत का
समझुंगी तुम आए,
मेरे गीतों के शब्दों मे,
प्रियतम तुम ही तुम बस छाए।
समझुंगी तुम आए,
मेरे गीतों के शब्दों मे,
प्रियतम तुम ही तुम बस छाए।
भू पर क्रीड़ित चंदानियाँ,
नभ मे चाँद अकेला,
चाँद की दुखद अवस्था देख
मेरा दुख भी बढ़ जाये।
नभ मे चाँद अकेला,
चाँद की दुखद अवस्था देख
मेरा दुख भी बढ़ जाये।
मेरे रोम-रोम मे प्रियतम ,
तुम ही तुम बस छाए।
मौन तुम्हारा बना शीर्षक,
हृदय क्यूँ शोर मचाए।
नैनो की गतिविधियां देखो!
सबके समक्ष हैं आए,
मेरे संवादों मे प्रियतम
तुम ही तुम बस छाए।
मेरे प्रेम की वैदेही
अग्नि परीक्षा भी देगी,
यदि तू जीवन मे
राम बनकर आए।
मेरे प्रेम की रामायण मे
प्रियतम तुम ही तुम बस छाए
सोनिया बहुखंडी गौड़
बहुत बढ़िया..सोनिया..
ReplyDeleteमेरे प्रेम की वैदेही
ReplyDeleteअग्नि परीक्षा भी देगी
वाह ... बहुत ही बढिया