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Sunday, 4 November 2012

जब तिमिर ढलेगा एकांत का

जब तिमिर ढलेगा एकांत का
समझुंगी तुम आए,
मेरे गीतों के शब्दों मे,
प्रियतम तुम ही तुम बस छाए।
भू पर क्रीड़ित चंदानियाँ,
नभ मे चाँद अकेला,
चाँद की दुखद अवस्था देख
मेरा दुख भी बढ़ जाये।

मेरे रोम-रोम मे प्रियतम ,
तुम ही तुम बस छाए।
मौन तुम्हारा बना शीर्षक,
हृदय क्यूँ शोर मचाए।

 नैनो की गतिविधियां देखो!
सबके समक्ष हैं आए,
मेरे संवादों मे प्रियतम
तुम ही तुम बस छाए।

 मेरे प्रेम की वैदेही
अग्नि परीक्षा भी देगी,
यदि तू जीवन मे
राम बनकर आए।
मेरे प्रेम की रामायण मे
प्रियतम तुम ही तुम बस छाए
सोनिया बहुखंडी गौड़

2 comments:

  1. बहुत बढ़िया..सोनिया..

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  2. मेरे प्रेम की वैदेही
    अग्नि परीक्षा भी देगी

    वाह ... बहुत ही बढिया

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