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Friday, 26 October 2012

कौन है सूने हृदय मे?

कौन है सूने हृदय मे?
कौन आहें भर रहा है?
कौन गर्वित भाव से ?
स्नेह वर्षा कर रहा है?

...
कौन है जो चक्षुओं से
पीर के मोती पिरोता
कौन है जो स्वप्न मे,
आके है रोता?

कौन है जो अदृश्य होके
दृश्य मेरे ले रहा है
कौन है जो मौनता से
दिशा ज्ञान दे रहा है।

कौन है जिसने
अभी थामी थी बाहें
कौन है जिसके,
बिना सूनी है राहें ?

9 comments:

  1. सोनिया जी बेहद सुन्दर रचना है उम्दा भाव पिरोये हैं, खास कर ये पंक्तियाँ तो ह्रदय में उतर गयीं।

    कौन है जो चक्षुओं से
    पीर के मोती पिरोता
    कौन है जो स्वप्न मे,
    आके है रोता?

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  2. कौन झंकृत करके मन के तार मुझसे बोलता है
    मैं तुम्हारा हूँ (ये पंक्तियाँ मेरी अम्मा की हैं,जो इस रचना के साथ उपयुक्त लगी)

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    1. bahut acchi baat share ki rashmi jee is se pata chalta hai ki aapko kavi maan us pahli saans hi mil gaya tha jab aap maa ke kokh me aai. mujhe shuru se aap par garv hai aur rahega.
      sadar rasmi di

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  3. भावों से नाजुक शब्‍द को बहुत ही सहजता से रचना में रच दिया आपने......

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  4. बहुत सुन्दर सोनिया.....

    प्यारी रचना.
    अनु

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  5. भावो की कोमल अभिव्यक्ति..
    अति सुन्दर रचना...
    :-)

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  6. वाह बहुत ही सुन्दर..सोनिया..

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  7. पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब
    बेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

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  8. बहुत सुंदर रचना | खूब |
    मेरे ब्लॉग में पधारें और जुड़ें |
    मेरा काव्य-पिटारा

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