इन् दिनों बेचैन है मेरा ह्रदय
रोग असाध्य; कोई हो गया है
जिन्दगी लगने लगी लावारिस मुझे
मौत जाने क्यों सगी सी हो गई......
अवसर मिले प्रिये यदि तुम्हे
आना कभी मेरे द्वार भी
और थाम लेना बाहँ मेरी,
रूकती हुई श्वासे मेरी
विचलित करें तुमको यदि
खोना नहीं तुम धर्य को
तुम आस हो जगती मेरी
जीवन मैं यदि तुम आ गए
मेरी मृत्य भी टल जाएगी
विश्वास है मुझको प्रिये
नमकीन आखों में मेरी
तेरी प्रीत जगमगाएगी
रोग साध्य भी हो जायेगा
जो तू समीप आ जायेगा
धन्वन्तरी के रूप में
जीवन की बुझती ज्योत को
अखंड ज्योत बनाएगा....
रोग असाध्य; कोई हो गया है
जिन्दगी लगने लगी लावारिस मुझे
मौत जाने क्यों सगी सी हो गई......
अवसर मिले प्रिये यदि तुम्हे
आना कभी मेरे द्वार भी
और थाम लेना बाहँ मेरी,
रूकती हुई श्वासे मेरी
विचलित करें तुमको यदि
खोना नहीं तुम धर्य को
तुम आस हो जगती मेरी
जीवन मैं यदि तुम आ गए
मेरी मृत्य भी टल जाएगी
विश्वास है मुझको प्रिये
नमकीन आखों में मेरी
तेरी प्रीत जगमगाएगी
रोग साध्य भी हो जायेगा
जो तू समीप आ जायेगा
धन्वन्तरी के रूप में
जीवन की बुझती ज्योत को
अखंड ज्योत बनाएगा....
एक वो ही तो सब रोगों की दवा है।
ReplyDeletesach likha hai ...bahut sundar .aabhar
ReplyDeleteLIKE THIS PAGE AND WISH INDIAN HOCKEY TEAM FOR LONDON OLYMPIC
बहुत बढ़िया दीदी!
ReplyDeleteसादर
वाह!!!
ReplyDeleteरोग साध्य भी हो जायेगा
जो तू समीप आ जायेगा
धन्वन्तरी के रूप में
जीवन की बुझती ज्योत को
अखंड ज्योत बनाएगा....
बहुत सुंदर रचना.....
मेरी पहले की टिप्पणी शायद स्पाम में गयी......
अनु
उनके आने से बीमान का हाल भी अच्छा हो जाता है ... बहुत खूब ...
ReplyDeleteलाजवाब !!! बहुत सुंदर लिखती हैं आप !!!
ReplyDeleteमृत्यु मेरी टल जायेगी , बेहतरीन भाव |
ReplyDeleteअच्छी रचना |
सादर