तेरा स्मरण ना जाने क्यों बार-बार आता है....
यादों का कारवां क्यों तेरे पार्श्व को जाता है..
करते ही बंद दृष्टि क्यों तू नजर आता है
स्वप्नों मै तेरे खोकर क्यों मन मेरा आतुर.....
सानिद्य तेरा पाकर विचलित सा हो जाता है
तेरा समरण.............................................................
जब कर दिया है मैंने, मेरी यादों से तुमको खाली
क्यों अहन की छवि मै, क्यों यामिनी के तम मै
क्यों छितिज के दिए मै तू ही नजर आता है.......
तेरा स्मरण..........................................................
जब याद तेरी आये, क्यों नींद तू ले जाए?
स्वप्नों क मेरे वन मै मुझसे द्रगु चुराए......
तुझ मे मै खो गई हूँ.. आसन्न तेरे आके
सपना यही क्यों मुझको आधीर कर जाता हैSee More
यादों का कारवां क्यों तेरे पार्श्व को जाता है..
करते ही बंद दृष्टि क्यों तू नजर आता है
स्वप्नों मै तेरे खोकर क्यों मन मेरा आतुर.....
सानिद्य तेरा पाकर विचलित सा हो जाता है
तेरा समरण.............................................................
जब कर दिया है मैंने, मेरी यादों से तुमको खाली
क्यों अहन की छवि मै, क्यों यामिनी के तम मै
क्यों छितिज के दिए मै तू ही नजर आता है.......
तेरा स्मरण..........................................................
जब याद तेरी आये, क्यों नींद तू ले जाए?
स्वप्नों क मेरे वन मै मुझसे द्रगु चुराए......
तुझ मे मै खो गई हूँ.. आसन्न तेरे आके
सपना यही क्यों मुझको आधीर कर जाता हैSee More
वाह...................
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना सोनिया जी....
बहुत खूब.
अनु
Beautiful :)
ReplyDeleteRegards.
बहुत सुंदर प्रस्तुति..
ReplyDeleteयादो की अंतहीन अभिवयक्ति.....
ReplyDeleteक्यूँ तू इस तरह साथ साथ होता है
ReplyDeleteआओ... चली आओ ह्रदय के पास, सुन लो धड़कने मेरी Bhut He Uttam Aur Sunder Prasthuti.
ReplyDeleteलिखावट की त्रुटियाँ यहाँ भी दिख रही हैं , लेकिन भाव बहुत अच्छे हैं |
ReplyDeleteसादर