एक औरत जो सनातन है, रोज गुज़र रही है कार्बन डेटिंग से, वह औरत ख्याल नहीं सोचती बस बातें करती है चीकट दीवारों से बेबस झड़ती पपड़ियों के बीच लटके बरसों पुराने कैलेंडर में अंतहीन उड़ान भरते पक्षियों से! और हाँ, बेमकसद बने मकड़ियों के जालों से भी। उसी औरत की डायरी के पन्ने खंगाल के लाइ है मेरी कलम जो आप सबको नजर है।
बहुत सुन्दर ..आप को भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए...
ReplyDeleteसुंदर संक्षिप्त प्यारा सन्देश
ReplyDeleteहरे माँ लक्ष्मी हर का क्लेश
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ...
सोनिया ऐसा ही कुछ मैंने भी लिखा था बस शब्द थोड़े से अलग हैं पर मकसद वही था । सिर्फ दिए जलाने से यह अन्धकार जो समाज की सोच पर पड़ चूका है का दूर संभव नहीं । तुमने भी बहुत सुन्दर ढंग से व्यक्त किया है ।
ReplyDeleteअंतर्मन तिमिर भया, ह्रदय सोया राखे कोय,
लाख दीये माटी मिले, रोशन आँगन लाख करे कोय ।
ज्ञान दीप प्रज्वालित भया जब जब, जग रोशन होए ।।रामेश्वरी
सार्थक एवं प्रेरक प्रस्तुति
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