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Wednesday 11 April 2012

उभरता भारत

क्या जूठन, क्या शुद्ध ?
उदर की ज्वाला को
जो मिल जाए शांत कर देता हूँ
अचला का बेटा हूँ
... अचला का दिया ग्रहण कर लेता हूँ

ना धिक्कार,ना ग्लानि, ना ग्लानिकर्ता!!,
पर क्रोध दर्शाता हूँ,
नींद मुझे जब आती है ,
अचला की गोद में ही सो जाता हूँ
अचला का बेटा हूँ
अचला का दिया ग्रहण कर लेता हूँ

क्या निर्धन?क्या धनी?
इसका भेद नहीं भेद पाता हूँ
अमृत की समझ कहाँ मुझको,
मैं गरल पिए जाता हूँ..
अचला का बेटा हूँ
अचला का दिया ग्रहण कर लेता हूँ

अश्रु नहीं सूख पाते मेरे,
भरी जेठ की दुपहरी में,
खुशियों की एक बूँद जो मिले,
मैं प्यास उसी से बुझाता हूँ..
अचला का बेटा हूँ
अचला का दिया ग्रहण कर लेता हूँ
(सोनिया बहुखंडी गौड़) १०/०४/२०१

19 comments:

  1. ब्लॉग जगत मे आपका स्वागत है।
    हमारी कामना है कि जल्द ही आपका ब्लॉग हिन्दी के बेहतर ब्लोगस की सूची मे शामिल हो।

    आपकी यह पहली पोस्ट बहुत ही अच्छी लगी।

    सादर

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    1. yashvant aapki mangalkaamana ke liye aabhar...

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  2. मार्मिक...
    दृश्य और कविता भी...

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  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति सराहनीय !

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  4. गहन अभिवयक्ति......

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  5. क्रिकेट के माँझे हुये बल्लेबाज़ की तरह आपने अपनी पारी का आगाज किया है ! स्वागत है !

    बेहद उम्दा रचना है आपकी ... बधाइयाँ और शुभकामनायें !

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  6. देश की ये हालत तो देश की आजादी के इतने बरस बाद भी है . और फिर देखो तो , कुछ लोग ये सोचते है कि क्या खाए [ इतना ज्यादा choices होती है ] और कुछ लोग ये सोचते है कि क्या खाए [ क्योंकि उन बेचारों के पास कुछ नहीं है खाने को ] ...बहुत दर्द होता है ..आपकी कविता बहुत सार्थक बन पढ़ी है . भाव बहुत ही गहरे उतारते है.

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  7. सोनिया जी फेस बुक पर आपकी कवितायें पढ़ते रहे हैं,आपने ब्लाग का शुभारंभ कर दिया है बहुत-बहुत मुबारक हो। चित्र देख कर उसका सजीव वर्णन करने मे आपको महारत हासिल है। हमारी मंगलकामनाएं सदैव आपकी तरक्की हेतु आपके साथ हैं।

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  8. हृदयस्पर्शी .... बहुत भावपूर्ण लिखा है....

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  9. ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है। शुभकामनाएं कि आप रचनात्मकता की डगर पर आगे की ओर बढ़ती रहें..

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  10. हे भगवान ! तस्वीर और तक़दीर में कितना फर्क है ?सुन्दर और मार्मिक

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  11. अचला का बेटा हूँ ..... जो भी मिले प्रेम पूर्वक ग्रहण करता हूँ .... खूबसूरत भावों को सँजोया है ... सुंदर प्रस्तुति

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  12. khubsurat bhaav ke sath behtareen abhivyakti...

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  13. अश्रु नहीं सूख पाते मेरे,
    भरी जेठ की दुपहरी में,
    खुशियों की एक बूँद जो मिले,
    मैं प्यास उसी से बुझाता हूँ..
    ...कितनी करुणा भरी है इन पंक्तियों में ......बहुत संदर लिखती हैं आप सोनियाजी ......ब्लॉग जगत में आपका बहुत बहुत स्वागत है ......

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  14. ब्लॉग जगत मे मैं संजय भास्कर आपका स्वागत करता हूँ !

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  15. अगर लयात्मकता को दरकिनार कर दिया जाए(सिर्फ कुछ-एक जगह) तो बहुत अच्छी रचना |
    इसका शीर्षक 'अचला का बेटा' भी तो हो सकता था | :)
    सादर

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