Tuesday 21 August 2012

बाल कविता (तितली पर )

रंग-बिरंगी, लाल-गुलाबी
नीली-पीली और सुनहरी
बच्चों का मन बहलाने को
दूर देश से आई तितली,
रंगो की यह शहजादी है
फूलों पर मंडराती है
...
खुद पर ये इतराती है,
बच्चों की यह खास सहेली,
गीत प्यार के ये गाती है,
रंग-बिरंगी, लाल-गुलाबी
नीली-पीली और सुनहरी
दूर देश से आई तितली।




एक बाल कविता, तितली पर लिखी है... बचपन से तितलियाँ मुझे बहुत पसंद हैं। उसी भाव और विचार से प्रेरित ये बचपन की कविता जो आप मे से कई लोगों ने सोची होगी पढे.... और खो जाएँ उन बागीचों मे जो गुम हो गए और अब दिखते हैं तो कोंकरीट के जंगल॥ जो उमस से भरे हैं और जहां ये नाजुक और सुंदर सुंदर तितलियाँ दफन हो गई हैं...:(



1 comment:

  1. बहुत प्यारी सी बाल कविता..

    ReplyDelete