Tuesday 31 July 2012

तू किस सोच मे डूबी है माँ !


तू किस सोच मे

डूबी है माँ !

मुझको शरण दे

या मरण दे !

यही ना !

कितने युगो से

निर्वासन की मार,

मैं सहती रही,

और.... अपने अंत तक

फिर भी तेरा

वंदन किया।

आँखों से तेरे

भुवन को देखा सदा...

और तूने पुत्र के खोप मे

मेरे लिए म्रत्यु का

चयन किया...

चल सोच को त्याग कर

चिंतन को मुझ

पर छोड़ दे,

स्वीकार कर अंतिम नमन

मैं क्यूँ बनूँ

शरणार्थी !!

मैंने मरण और शरण मे

मरण का वरण  किया..

अब चीर दो या

काट दो,

अस्तित्व को मेरे

मार दो...परवाह नहीं

इस जन्म के दो माह मे

मैंने सभी को....

क्षमा किया....क्षमा किया

सोनिया बहुखंडी गौड़

Friday 13 July 2012

सन्दर्भ गुवहाटी कांड*(कविता)


सन्दर्भ गुवहाटी कांड

****************

इस क्षिति को दोगे क्या

और क्या ले जाओगे?

दुष्कर्म करके, तुम सुनो

क्या विभु बन जाओगे .....

आज दुशासन बने तुम

वस्त्र मेरे चीर कर

रूँधे गले से चीख कर मैंने कहा !!

केशव बताओ आज तुम कब आओगे?

इस क्षिति को दोगे क्या

और क्या ले जाओगे?

भीड़ मे धृतराष्ट्र मानो थे सभी!

सूरमा पैदा कोई हुआ नहीं

मैले ह्रदय की कीच को

कब तक भला छुपाओगे?

इस क्षिति को दोगे क्या

और क्या ले जाओगे?

मेरे दशा को देखकर,

त्रिलोचन के नैन खुले नहीं !!

बाजार मे लुटती रही

मेरी आबरू को आज तुम, और कितना लुटाओगे?

इस क्षिति को दोगे क्या

और क्या ले जाओगे?

सोनिया बहुखंडी गौड़

परवर्ती दुख से भीगी थी

********श्याम मुझको याद देखो आ गए ********


परवर्ती दुख से भीगी थी
तिस मेघों की अतिव्रष्टि
... यादों के घन पुनः छा गए
साँवले मोहन याद आ गए॥
प्यासी अचला
चक्षु व्रष्टि से भीगी-भीगी
किन्तु, प्यासे मन की पीड़ा
स्मृति घन बढ़ा गए।
श्याम मुझको याद देखो आ गए
रच रहे पावस ऋतु मे,
गीत उन्मादों भरे,
किन्तु, गीतों मे मेरे
वियोग रस छा गए॥
श्याम मुझको याद देखो आ गए

कुंज रमणीय हो उठे
शिखी भी, मेह के नशे मे गा रहे
किन्तु मेरे द्र्गु पुलिन मे
अश्रु भर-भर आ रहे॥
श्याम मुझको याद देखो आ गए
सोनिया बहुखंडी गौड़
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Thursday 12 July 2012

ये मुलाक़ात इश्क़ की है

ये मुलाक़ात इश्क़ की है
दर्द के नगमे गाएँगे किसी रोज॥
आज प्यार की कश्ती आँखों की पीर मे न डूबेगी,
आँखों मे उठे थे,तूफान कितने?सुनाएँगे किसी रोज॥
आओ एक दूसरे को पाने की तदबीर सोचें,
ना जाने किस मोड मे जुदा हो जाएँगे किसी रोज़॥
आज दिल-ए-बयार मे लगी आग का जिक्र होगा,
बयां ना कर सके तो मर जाएंगे किसी रोज़॥
               *सोनिया बहुखंडी गौड़*

Sunday 8 July 2012

तुम बैरी निकले


मन के घावों की पीड़ा को
द्र्गु मे ही स्थान मिला
समझाया कितना पीड़ा को
फिर भी, उसने नैनो मे वास किया
तुमको क्या तुम बैरी निकले
तुमने मेरा परित्याग किया
मैंने तेरी खातिर
ईश्वर से भी युद्ध किया
और पराजित कर, ईश्वर को
इस धरती मे जन्म लिया
तुम ना समझे ह्रदय की भाषा
तुमने सौतलेपन का वार किया
तुमको क्या तुम बैरी निकले
तुमने मेरा परित्याग किया
अब मेरे प्रांगण, विरह की शीत है
प्रेम की गर्मी हुई नदारद,
तिस पर तुमने बिन सावन के
नैनो मे पावस घोल दिया।
मैंने संयोग के गीत रचे थे
तुमने वियोग संग स्वांग रचा
तुमको क्या तुम बैरी निकले
तुमने मेरा परित्याग किया।

Thursday 5 July 2012


आज यादें, प्रिय तुम्हारी,

फिर से मुझको आ रही हैं,

और मन की पीर मेरी,

सघन होती जा रही है,

और सघनता जब बड़ेगी,

नयन को तरल करेगी

आज यादों की गुस्ताखी

ह्रदय को विमुख किए जा रही है।

आज यादें, प्रिय तुम्हारी,

फिर से मुझको आ रही हैं।

मैंने सदा चाहा

अरुण आए तुम्हारे द्वार मे

किन्तु तुमने ध्वांत राहें ही चुनी।

तुम सदा समझे,

ठिठोली प्रेम को मेरे प्रिय!

स्वार्थ से भीगी वो बातें

आग दिल मे लगा रही।

आज यादें, प्रिय तुम्हारी,

फिर से मुझको आ रही हैं,

मैं सदा कटिबद्ध थी,

परिणय हमारा हो प्रिय,

किन्तु मन प्रिय तुम्हारे

बसी थी और कोई !!

आज.... कलुषित

भावनाओं की सुधि मुझको आ रही

छलावे की हर कथाएँ,

ह्रदय को भेदे जा रही है,

आज यादें, प्रिय तुम्हारी,

फिर से मुझको आ रही हैं,

आज मैं एकांत हूँ

तुम जो संग नहीं,

किन्तु तेरी ढीठ यादें साथ हैं

जो अतिथि बन, आती सदा

यादों की ऐसी धृष्टता

ह्रदय को उद्वेग करती जा रही

आज यादें, प्रिय तुम्हारी,

फिर से मुझको आ रही हैं,

सोनिया बहुखंडी गौड़ 5/07/२०१२




Wednesday 4 July 2012

याद सूखे ज़ख़म सी है

तेरी यादें समुन्दर सी
मेरे जीवन में आती हैं,
उसकी लहरें मेरा जीवन,
इन्तशार कर जाती हैं..
करूँ पुरजोर कोशिश मैं...
...भुला दूँगी सनम तुझको
मगर सूखे जखम सी हैं
हरी ये हो ही जाती है...
तेरी यादें समुन्दर सी
मेरे जीवन में आती हैं,

अगर अब मौत भी आये,
तेरे आगोश में आये...
मगर मुझको खबर है..
आरजू ये बेमानी है
ये जीवन तो मेरे दिलबर
मुझे हर पल सताएगा
हकीकत तो यही है की
मौत इक पल में आनी है
तेरी यादें समुन्दर सी
मेरे जीवन में आती हैं,
(सोनिया बहुखंडी गौड़ )