आस-पास ये कैसा मंजर छा रहा है,
मुल्क क्यों हिस्सों मे बँटता जा रहा है।
चुप रही तो कलम का क्या फायदा,
सियासी चालों का दबदबा नजर आ रहा है।
मुल्क क्यों हिस्सों मे बँटता जा रहा है।
चुप रही तो कलम का क्या फायदा,
सियासी चालों का दबदबा नजर आ रहा है।
गरीबों का खून सड़कों मे फैला है,
अमीर खुशी से कदम बढ़ा रहा है।
आम-आदमी की कमर झुक गई जरूरतें पूरी करते करते!
सियासत ने कहा ये तो सिजदे मे सर झुका रहा है।
नौजवान इश्क़ की चादर लपेटे हैं तन पर,
हिंदुस्तान उनकी राहों मे आँखें थका रहा है।
सोनिया बहुखंडी गौर
अमीर खुशी से कदम बढ़ा रहा है।
आम-आदमी की कमर झुक गई जरूरतें पूरी करते करते!
सियासत ने कहा ये तो सिजदे मे सर झुका रहा है।
नौजवान इश्क़ की चादर लपेटे हैं तन पर,
हिंदुस्तान उनकी राहों मे आँखें थका रहा है।
सोनिया बहुखंडी गौर