क्या पाया इस जीवन मे!!
बस मैंने खोया
जो पाया वो भ्रम था
जो खोया वही सत्य था
दुनिया के छल,प्रपंच मे उलझी
और तुमको खो बैठी
तुम ही सत्य थे
जब तुमको खोया
एक सत्य निष्काषित
हो गया जीवन से।
और तुमको खो बैठी
तुम ही सत्य थे
जब तुमको खोया
एक सत्य निष्काषित
हो गया जीवन से।
बहुत खूब..
ReplyDeleteजीवन प्रपंच में पड़कर अपनों को
खोने का दुःख बहुत तकलीफ देता है..
संवेदन भाव लिए रचना..
बेशक खोया लेकिन उसके साथ का एहसास पाया भी तो है |
ReplyDeleteB+ :)
सादर