Popular Posts

Saturday, 8 December 2012

एक सत्य निष्काषित हो गया जीवन से।




क्या पाया इस जीवन मे!!
बस मैंने खोया
जो पाया वो भ्रम था
जो खोया वही सत्य था

दुनिया के छल,प्रपंच मे उलझी
और तुमको खो बैठी
तुम ही सत्य थे
जब तुमको खोया
एक सत्य निष्काषित
हो गया जीवन से।

2 comments:

  1. बहुत खूब..
    जीवन प्रपंच में पड़कर अपनों को
    खोने का दुःख बहुत तकलीफ देता है..
    संवेदन भाव लिए रचना..

    ReplyDelete
  2. बेशक खोया लेकिन उसके साथ का एहसास पाया भी तो है |
    B+ :)

    सादर

    ReplyDelete