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Thursday 8 November 2012

ख्वाबों की तो जात ही है टूट जाने की

हम कोशिश करते रहे उनको अपने दिल मे बसाने की
पर उन्होने ज़िद ठान ली थी हमसे दूर जाने की

वो उम्र भर सोचते रहे के हम चाहते नहीं उनको
हम दलीलें ही देते रह गए, अपने मोहब्बत के पैमाने की
 
बे-मतलब, बे-बात रूठते रहे वो,
और हम तरकीबें सोचते रहे उनको मनाने की
 
भटकता रहा वो बेमकसद इधर-उधर
कोशिश ना की इक बार भी मेरे दिल के ओर आने की

हम खोये रह गए उनके ख्वाबों में
ख्वाबों की तो जात ही है टूट जाने की
सोनिया बहुखंडी गौड़

12 comments:

  1. सोनिया जी बेहद खूबसूरती से लिखी है आपने ये खूबसूरत रचना वाह मज़ा आ गया पढ़कर.

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  2. बहत ही प्यारी रचना हृदय के भावों को व्यक्त करती | बहुत खूब |
    मेरी नई पोस्ट-बोलती आँखें

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  3. बहुत प्यारी रचना

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  4. रूठना मानना.. बेमतलब का दुरी बन जाना... यही तो प्यार है...:)
    प्यारी से खुबसूरत गजल:)

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  5. बहुत ख़ूबसूरत रचना..

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  6. बहुत ही खुबसूरत...

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  7. कोमल भाव लिए रचना...
    मनभावन...
    :-)

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  8. बहुत खूब ... :)


    क्यूँ कि तस्वीरें भी बोलती है - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  9. भाव बहुत सुन्दर हैं , कुछ-एक पंक्तियाँ हैं जो वाकई बहुत सुन्दर बन पड़ी हैं |

    सादर

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  10. सुन्दर रचना और बढ़िया अभिव्यक्ति।

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