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Thursday, 23 May 2013

हांफता,काँपता दमे से पीड़ित, मेरा प्रेम हुआ मृत्यु में लीन

हांफता,काँपता दमे से पीड़ित,
मेरा प्रेम हुआ मृत्यु में लीन
खुश हूँ बहुत मैं आज,
संताप मेरा हुआ आज क्षीण.

जब जीवित था,स्वप्न बिखरे थे
सूने पथ पर मेरे.

किन्तु उस पथ पर खड़े हैं,
आज देखो! छाँव देते तरुवर हरे-हरे.

ना इस जनम,ना पुनर्जनम
तुमसे मिलने की इक्षा है मेरी
खौलते नैनो से मैंने,
विदाई की है तेरी......

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