आस-पास ये कैसा मंजर छा रहा है,
मुल्क क्यों हिस्सों मे बँटता जा रहा है।
चुप रही तो कलम का क्या फायदा,
सियासी चालों का दबदबा नजर आ रहा है।
मुल्क क्यों हिस्सों मे बँटता जा रहा है।
चुप रही तो कलम का क्या फायदा,
सियासी चालों का दबदबा नजर आ रहा है।
गरीबों का खून सड़कों मे फैला है,
अमीर खुशी से कदम बढ़ा रहा है।
आम-आदमी की कमर झुक गई जरूरतें पूरी करते करते!
सियासत ने कहा ये तो सिजदे मे सर झुका रहा है।
नौजवान इश्क़ की चादर लपेटे हैं तन पर,
हिंदुस्तान उनकी राहों मे आँखें थका रहा है।
सोनिया बहुखंडी गौर
अमीर खुशी से कदम बढ़ा रहा है।
आम-आदमी की कमर झुक गई जरूरतें पूरी करते करते!
सियासत ने कहा ये तो सिजदे मे सर झुका रहा है।
नौजवान इश्क़ की चादर लपेटे हैं तन पर,
हिंदुस्तान उनकी राहों मे आँखें थका रहा है।
सोनिया बहुखंडी गौर
वाह हिंदुस्तान की सच्चाई को बयां करती अद्भुत रचना.
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १८/९/१२ को चर्चा मंच पर चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका चर्चा मच पर स्वागत है |
ReplyDeleteaapka bahut bahut aabhaar Rajesh Kumari jee
Deleteवतन पर मर मिटने वाले नवजवान अब कहाँ हैं , अब मिटे भी किसके लिए , इनके घोटालों के लिए ?
ReplyDeleteसच्ची तस्वीर ...
बहुत बढ़िया लिखा सोनिया...
ReplyDeleteसशक्त रचना...
सस्नेह
अनु
jagruk karti post.
ReplyDeleteसशक्त बहुत बढ़िया रचना..सिनिया. शुभकामनाएं
ReplyDeletethats the truth... really its so nice..
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