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Monday 17 September 2012

चुप रही तो कलम का क्या फायदा!!!!!



आस-पास ये कैसा मंजर छा रहा है,
मुल्क क्यों हिस्सों मे बँटता जा रहा है।

चुप रही तो कलम का क्या फायदा,
सियासी चालों का दबदबा नजर आ रहा है।

गरीबों का खून सड़कों मे फैला है,
अमीर खुशी से कदम बढ़ा रहा है।

आम-आदमी की कमर झुक गई जरूरतें पूरी करते करते!
सियासत ने कहा ये तो सिजदे मे सर झुका रहा है।

नौजवान इश्क़ की चादर लपेटे हैं तन पर,
हिंदुस्तान उनकी राहों मे आँखें थका रहा है।
सोनिया बहुखंडी गौर

8 comments:

  1. वाह हिंदुस्तान की सच्चाई को बयां करती अद्भुत रचना.

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  2. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १८/९/१२ को चर्चा मंच पर चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका चर्चा मच पर स्वागत है |

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  3. वतन पर मर मिटने वाले नवजवान अब कहाँ हैं , अब मिटे भी किसके लिए , इनके घोटालों के लिए ?
    सच्ची तस्वीर ...

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  4. बहुत बढ़िया लिखा सोनिया...
    सशक्त रचना...

    सस्नेह
    अनु

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  5. सशक्त बहुत बढ़िया रचना..सिनिया. शुभकामनाएं

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  6. thats the truth... really its so nice..

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