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Monday 13 May 2013

तुम्हारी प्रेम-कहानियों के किस्से!!!!!!


रोज तो सुनती हूँ,
तुम्हारी प्रेम-कहानियों के किस्से
जो बने रहेंगे अंतिम साँसो तक मेरे हिस्से।

रोज सुनती हूँ तुम्हारे दुखों की दस्तक
जो गूँजती रहती हैं हथौड़े सी मेरे जेहन में,
जैसे पुराने-जर्जर खंडहर से,
सिसकती हो सदाएं—निः स्तब्ध रात्रि में

रोज दिखते हो कंधे में लादे
यादों को बेताल सरीखे,
जो रोज एक पुरानी कहानी दोहराती है....
और तुमको बेचैन कर, भावनाओं के तरु से लटक जाती है।

रोज बुलाते हो रत्नाकर को
जो दिल में तेज लहरों के साथ,
भावों की सुनामी लिए आता है....
जिसका असर नैनो में उतर जाता है। 


रोज जलते हो थार के साथ-साथ
और कभी हिमालय की सर्द साँसे झेलते हो,
समय जब कभी लगता है तुमको,
मेरे अहसासों की साँसो को खुद मे घोलते हो........

रोज तो सुनती हूँ,
तुम्हारी प्रेम-कहानियों के किस्से
जो बने रहेंगे अंतिम साँसो तक मेरे हिस्से।
सोनिया गौड़

4 comments:

  1. आपने लिखा....
    हमने पढ़ा....
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए बुधवार 15/05/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    पर लिंक की जाएगी.
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  2. बहुत सुन्दर् आभार्....

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  3. सुन्दर अभिव्यक्ति!
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest post हे ! भारत के मातायों
    latest postअनुभूति : क्षणिकाएं

    ReplyDelete
  4. खूबशूरत अहसास

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