Popular Posts

Sunday 21 October 2012

प्रेम कुदाली तुमने चलाई

हृदय मे गति थी कल तक
प्रेम कुदाली तुमने चलाई
मेरे हृदय को विस्थापित कर दिया
ये षड्यंत्र नहीं तो क्या?
अच्छा-भला तो फुदक रहा था कोने मे

तुमने अपने कोने से मिला लिया,
और मेरी कुँवारी आशाओं को
विचलित कर किधर गए?
अतिशयोक्ति नहीं किन्तु
निर्जीव हो गई हूँ मैं,तुम्हारे बिना
दिमाग चल रहा है, दिल नहीं
विनिमय कभी एक तरफा नहीं होता
यदि मेरे हृदय को अपने कोने से
मिला बैठे हो तो, अपना कोना मुझे दे दो
यही तो है प्रेम का सच्चा सौदा,
आओ दोनों मिलकर षड्यंत्र करे
तो षड्यंत्र सार्थक हो जाएगा,
और मेरे हृदय का विस्थापन भी :)

6 comments:

  1. ह्रदय स्पर्शी भावनाएं सुन्दर रचना

    ReplyDelete
  2. आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 24/10/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

    ReplyDelete
  3. बहुत कोमल प्रेम भरी भावनाएं

    ReplyDelete
  4. कोमल प्रेम भावनाओ की सुन्दर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  5. भावनाओ की कोमल अभिव्यक्ति...
    सुन्दर...

    ReplyDelete
  6. सुन्दर,कोमल, मनभावन अभिव्यक्ति .....

    ReplyDelete