स्वतंत्रता
एक छोटी सी लड़की,
लंबे बालों वाली..... तेज आवाज करती है, और गुलेल चलाती है।
तब लगता है अब स्वतंत्रता मिल ही जायेगी।
एक औरत, घूँघट काढ़े...झूठे बर्तनों के
टकराने के शोर को, अपने मन की फुसफुसाहट से
शांत करती है.....
स्वन्त्रता प्रश्न चिन्हों के बीच कुछ ख्याल बुनते हुए...
एक बूढी, बीमार दीवारों के साथ खांसती है, चंद लोगों के बीच
जिनके सर गायब हैं.....
स्वतंत्रता अब स्वतंत्र होने को है।
सोनिया
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