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Monday, 25 June 2012

तेरे केश देखूं

तेरे केश देखूं तो गंगा....लगें हैं
बहती है जिसमे मेरी प्रीत निर्झर...
मुझे तुम विसर्जित करो इन लटों में...
मुझे जीवन अमृत इन्ही में मिलेगा..
मेरी प्रियतमा तुम मुझे ना भुलाना..
तेरे प्रेम से मेरा जीवन सजेगा.. (सोनिया बहुखंडी गौड़ )

4 comments:

  1. बहुत सुन्दर भाव

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  2. वाह: बहुत खुबसूरत...सोनिया..शुभकामनाएं

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