Tuesday 24 September 2013

तुमको याद रखने का दुःख



एक दर्द है,जो सहमा और सिमटा है
कलेजे के भीतर
कभी घुटता रहता है
कभी हांफने लगता है
कभी भीतर ही भीतर
विरोध के गहरे हरे रंग में पुत जाता है।
जानते हो क्यों,
सहमा रहता ये दर्द है ?
तुम्हे याद रखने के दुःख से!!!!!
एक मौत के जैसा दुख है
इस जन्म में।
हमारी अधूरी चाहत।
तुमसे न मिल पाने की
गूंगी-बहरी टीस
जो बरबस सालती रहती है।
अब ये दर्द कभी गुलाबी नही होगा
ये घुटता रहेगा कलेजे में
और विरोध के हरेपन में बेसुध हो जायेगा।
और ज़िंदगी छटपटाती रहेगी
बेबसी की दरारों के बीच।
सोनिया गौड़

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